Tuesday 16 June 2020

केवल उनकी बात सुनी जाए।

आत्महत्या की मनःस्थिति वाले मित्र अथवा सम्बंधी की मदद करना
शांत रहें और उसकी बात सुनें !
यदि कोई हताश महसूस कर रहा है अथवा आत्महत्या करने की सोच रहा है, तो हमारी पहली प्रतिक्रिया यह होती है कि उसकी मदद करने की कोशिश की जाए। हम सलाह देते हैं, अपने अनुभवों के बारे में बताते हैं, समाधान ढूंढने की कोशिश करते हैं।

हमारे लिए यही बेहतर होगा कि शांत रहकर उसकी बात सुनें। जो लोग आत्महत्या करने के बारे में सोचते हैं उन्हें जवाब या समाधान नहीं चाहिए। वे अपने भय और चिंताएं व्यक्त करने के िलए एक सुरक्षित स्थान चाहते हैं, जहां उनकी बात सुनी जाए। सुनना-वास्तव में सुनना-आसान नहीं है। हमें कुछ कहने-टिप्पणी करने, कहानी जोड़ने अथवा सलाह देने - की उत्कण्ठा पर काबू पाना चाहिए। हमें केवल उन तथ्यों को ही नहीं सुनना हैजो वह व्यक्ति बता रहा है, बल्कि उनके पीछे छिपी भावनाओं को भी समझना है। हमें उनके दृष्टिकोण से चीजों को देखना है न कि अपने दृष्टिकोण से।

यदि आप आत्महत्या मनःस्थिति वाले व्यक्ति की मदद कर रहे हैं, तो यहां याद रखने योग्य कुछ बातें बतायी गई हैं।

आत्महत्या की मनःस्थिति वाले व्यक्ति क्या चाहते हैं?
बात सुनने वाला कोई व्यक्ति। ऐसा कोई व्यक्ति जो उनकी बात वास्तव में सुनने के लिए समय निकालेगा। ऐसा कोई व्यक्ति जो निर्णय, सलाह अथवा राय नहीं देगा, बल्कि अपना पूरा ध्यान देगा।
विश्वास करने योग्य कोई व्यक्ति। ऐसा कोई व्यक्ति जो उनका सम्मान करेगा और उन पर हावी होने की कोशिश नहीं करेगा। ऐसा कोई व्यक्ति जो हर बात को गुप्त रखेगा।
ध्यान रखने वाला कोई व्यक्ति। ऐसा कोई व्यक्ति जो स्वयं उपलब्ध रहेगा, व्यक्ति को मानसिक शांति देगा और ठंडे दिल से बोलेगा। ऐसा कोई व्यक्ति जो पुनःभरोसा दिलाएगा, उसकी बात स्वीकार करेगा और उस पर विश्वास करेगा। ऐसा व्यक्ति, जो कहेगा, "मैं परवाह करता हूँ।"
आत्महत्या की मनःस्थिति वाले व्यक्ति क्या नहीं चाहते हैं?
अकेला रहना। निरस्कार से समस्या दस गुना बिगड़ सकती है। वह चाहता है कि ऐसा कोई व्यक्ति हो जो उसकी समस्या को बदल दे। केवल उसकी बात सुने।
सलाह प्राप्त करना। भाषणबाजी से कोई मदद नहीं मिलती है। न ही  " खुश रहो " का सुझाव देने से, अथवा एक ऐसे सरल आश्वासन से कि "सब ठीक हो जाएगा।" कोई विश्लेषण, तुलना, वर्गीकरण अथवा आलोचना न करें। केवल उसकी बात सुनें।
प्रश्न करना। विषय को बदले नहीं, न तो दया दिखाए अथवा न ही कोई कृपा करें। भावनाओं के बारे में बात करना कठिन होता है। आत्महत्या की मनःस्थिति वाले लोग नहीं चाहते कि जल्दबाजी की जाए अथवा उनका बचाव किया जाए। केवल उनकी बात सुनी जाए। 

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